Mann Ki Baat: “मैं विदा लेता हूं”...लोकसभा चुनाव के बाद PM मोदी की पहली ‘मन की बात’

Mann Ki Baat: “मैं विदा लेता हूं”...लोकसभा चुनाव के बाद PM मोदी की पहली ‘मन की बात’

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित करते हुएकई मुद्दों पर बात की है। मन की बात के 111वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज वो दिन आ ही गया जिसका हम सभी फ़रवरी से इंतज़ार कर रहे थे।मैं 'मन की बात' के माध्यम से एक बार फिर आपके बीच, अपने परिवारजनों के बीच आया हूं। एक बड़ी प्यारी सी उक्ति है - 'इति विदा पुनर्मिलनाय' इसका अर्थ भी उतना ही प्यारा है, मैं विदा लेता हूं, फिर मिलने के लिए।इसी भाव से मैंने फ़रवरी में आपसे कहा था कि चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा, और आज, 'मन की बात' के साथ, मैं, आपके बीच फिर हाज़िर हूं।"

 इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मन की बात' रेडियो प्रोग्राम भले ही कुछ महीने बंद रहा हो लेकिन 'मन की बात' का जो आत्मा है देश में, समाज में, हर दिन अच्छे काम, निस्वार्थ भावना से किए गए काम, समाज पर सकारात्मक असर डालने वाले काम - निरंतर चलते रहे।चुनाव की खबरों के बीच निश्चित रूप से मन को छू जाने वाली ऐसी ख़बरों पर आपका ध्यान गया होगा"

संविधान और देश के लिए कही ये बात

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं आज देशवासियों को धन्यवाद भी करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 24का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था।दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें 65करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं।मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।"

हूल दिवस का किया जिक्र

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज 30जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है।इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं।यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरज़ोर विरोध किया था।वीर सिद्धो-कान्हू ने हज़ारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेज़ों का जी-जान से मुकाबला किया"।

आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है - 'एक पेड़ मां के नाम'।मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है। मैंने सभी देशवासियों से दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर या उनके नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है"।

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