Jagannath Rath Yatra 2024: कब शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा? जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ से जुड़ी कुछ खास बातें

Jagannath Rath Yatra 2024: कब शुरू हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा? जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ से जुड़ी कुछ खास बातें

Jagannath Rath Yatra 2024: हर साल आषाढ़ महीने में ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथपुरी भारत के चार धामों में से एक है। श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस प्रसिद्ध मंदिर को धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है। वहीं इस स्थान को नीलांचल, नीलगिरि और शाकक्षेत्र जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस साल पुरी की जगन्नाथ यात्रा रविवार, 7 जुलाई से शुरू हो रही है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ, देवी सुभद्रा का रथ और भगवान बलभद्र का रथ निकाला जाता है। यहां जानिए भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के रथ की विशेषताएं।

जगन्नाथपुरी रथ यात्रा की विशेषताएं

हर साल पुरी की रथयात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है। इस रथ यात्रा के लिए भगवान श्री कृष्ण, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के लिए नीम की लकड़ी से रथ तैयार किये जाते हैं। सबसे आगे बड़े भाई बलराम का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और पीछे जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। इन तीनों रथों के अलग-अलग नाम और रंग हैं। बलराम जी के रथ को तालध्वज कहा जाता है और इसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन या पद्मरथ कहा जाता है और यह रथ काले या नीले रंग का होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष या गरुड़ध्वज कहा जाता है और यह रथ पीले या लाल रंग का होता है। नंदीघोष की ऊंचाई 45 फीट ऊंची है, तालध्वज की ऊंचाई 45 फीट है और देवी सुभद्रा का दर्पदलन पथ लगभग 44.7 फीट ऊंचा है।

जगन्‍नाथ रथ यात्रा जगन्‍नाथ मंदिर से शुरू होकर 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक पहुंचती है। मान्यता के अनुसार इस स्थान को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि तीनों मूर्तियों का निर्माण इसी स्थान पर विश्वकर्मा ने किया था और यही भगवान जगन्नाथ का जन्मस्थान है। यहीं पर तीनों देवी-देवता 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। आषाढ़ माह के दसवें दिन रथ विधि-विधान के साथ मुख्य मंदिर की ओर बढ़ते हैं। वापसी यात्रा को बहुदा कहा जाता है।

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